ताज़ा खबरउत्तराखण्डमनोरंजनजॉब-एजुकेशनखेलसंस्कृति और लोकजीवनपर्यटनमौसम

Kumaon का अनोखा पर्व : खतड़ुआ

On: September 15, 2025 8:23 PM
Follow Us:
---Advertisement---

खतड़ुआ पर्व क्या है?

कुमाऊँ kumaon क्षेत्र में अश्विन मास की संक्रांति को खतड़ुआ पर्व मनाया जाता है। यह विशेष रूप से पशुधन और कृषि से जुड़ा हुआ त्योहार है। इस दिन गाय और अन्य पालतू पशुओं की सेवा की जाती है और उन्हें अच्छे भोजन तथा घास खिलाई जाती है।

खतड़ुआ पर्व की परंपराएँ

इस दिन गाँव के लोग बाहर मैदान में लकड़ियों, सूखी घास-फूस और चीड़ की शाखाओं से बड़ा ढेर बनाते हैं। फिर इसे आग लगाकर जलाया जाता है, जिसे ‘खतड़ुआ जलाना’ कहा जाता है। यह बुरी शक्तियों और रोगों के नाश का प्रतीक है।

  • घर-घर से लोग इस आग की लपटें लेकर आते हैं।
  • माना जाता है कि इससे पशुओं और परिवार के सभी कष्ट नष्ट हो जाते हैं।
  • कई क्षेत्रों में इसे गै त्यार (गायों का त्योहार) भी कहा जाता है।

पशुओं की विशेष देखभाल

इस दिन लोग अपनी गौशालाओं (पशुओं के बाड़े) की सफाई करते हैं। पशुओं को नहलाया-धुलाया जाता है और उन्हें स्वादिष्ट पकवान व हरी-हरी घास खिलाई जाती है। यह परंपरा दर्शाती है कि उत्तराखंड की संस्कृति में पशुधन केवल आर्थिक साधन ही नहीं, बल्कि परिवार का अहम हिस्सा हैं।

इस दिन यह गीत लोगो द्वारा गाया जाता है

ओंसो ल्यूंलो, बेटूलो ल्यूंलो,
गरगिलो ल्यूंलो, गाड़-गधेरान है ल्यूंलो,
तेरी गुसै बची रखों, तै बची रह्ये,
एक गोरु बटी गोठ भरी जाऔ,
एक गुसै ल्येरो मितर मरी जो


अर्थात् “मैं तेरे लिए अच्छी-अच्छी घास जंगलों व खेतों से ढूंढ कर लाऊंगी। तू भी दीर्घायु होना और तेरा मालिक भी दीर्घायु रहे। तेरी इतनी वंश वृद्धि हो कि पूरा गोठ (गोशाला) भर जाए और तेरे मालिक की संतान भी दीर्घायु हो।”

ऐतिहासिक और लोककथाओं से जुड़ा महत्व

खतड़ुआ पर्व को लेकर कई मान्यताएँ प्रचलित हैं –

  • एक कथा के अनुसार, कुमाऊँ के सेनापति गैड़ा सिंह ने अपने प्रतिद्वंदी खतड़ सिंह को युद्ध में पराजित किया था। तभी से यह पर्व जीत और बुरी शक्तियों के अंत का प्रतीक माना जाने लगा।
  • इस संदर्भ में एक प्रसिद्ध लोकगीत भी है:
    “भैलो जी भैलो, गैड़ा की जीत खतड़ुआ की हार”
  • कुछ विद्वानों के अनुसार यह केवल एक लोककथा है, जिसका उद्देश्य समाज में एकता और साहस की भावना जगाना है।

खतड़ुआ पर्व का सामाजिक संदेश

यह पर्व केवल धार्मिक मान्यता तक सीमित नहीं है। इसका गहरा सामाजिक और पर्यावरणीय महत्व है:

  • यह हमें इंसान और पशुधन के रिश्ते की अहमियत याद दिलाता है।
  • प्रकृति, पशु और इंसान के बीच संतुलन बनाए रखने का संदेश देता है।
  • सामूहिक उत्सव और गाँव की एकजुटता को मजबूत करता है।

संक्षेप में, Kumaon का अनोखा पर्व : खतड़ुआ केवल परंपरा नहीं बल्कि संस्कृति, पर्यावरण और पशुधन संरक्षण का प्रतीक है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि असली समृद्धि खेतों, पशुधन और प्रकृति के संतुलन में ही है।

Leave a Comment