पौड़ी: उत्तराखंड की Golden girl Mansi negi ने एक बार फिर पूरे प्रदेश का मान बढ़ाया है। कठिनाइयों और संघर्षों से जूझकर आगे बढ़ने वाली Mansi negi को खेल विभाग पौड़ी में असिस्टेंट कोच की जिम्मेदारी मिली है। यह उपलब्धि न केवल उनके लिए बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व का क्षण है।
चमोली जिले के छोटे से गांव मजोठी से आने वाली मानसी नेगी ने साबित कर दिया कि हिम्मत और मेहनत के सामने पहाड़ जैसी चुनौतियां भी छोटी पड़ जाती हैं। बचपन में ही पिता को खो देने के बाद भी Mansi negi ने हार नहीं मानी, बल्कि इसे अपनी ताकत बना लिया।
मानसी नेगी की पढ़ाई और शुरुआती संघर्ष
मानसी नेगी की शुरुआती पढ़ाई चमोली के साधारण स्कूलों में हुई। बाद में उन्होंने इंटरमीडिएट देहरादून से किया और यहीं से खेलों में भी गंभीर तैयारी शुरू की। पहाड़ की पगडंडियां ही उनके लिए पहली ट्रेनिंग ग्राउंड बनीं। रोज़ाना स्कूल का सफर और घर के काम उनके लिए फिटनेस की असली क्लास थे।
तीलू रौतेली पुरस्कार और अंतरराष्ट्रीय सफलता
मानसी नेगी की मेहनत का ही नतीजा है कि उन्हें प्रदेश सरकार ने तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया। हाल ही में जर्मनी में आयोजित FISU विश्व विश्वविद्यालय खेल 2025 में मानसी नेगी ने वॉक रेस टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर देश और उत्तराखंड का नाम रोशन किया।

मानसी नेगी बनीं असिस्टेंट कोच
प्रदेश सरकार ने उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें खेल विभाग पौड़ी में असिस्टेंट कोच के पद पर नियुक्त किया है। अब वह हाई एल्टीट्यूड रांसी स्टेडियम पौड़ी में भविष्य की प्रतियोगिताओं के लिए खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देंगी और खुद भी अभ्यास कर रही हैं।
मानसी नेगी कहती हैं,
“रोजाना रांसी मैदान में अभ्यास करती हूं ताकि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन कर सकूं। यहां पहाड़ के युवाओं को भी आना चाहिए, क्योंकि यह स्टेडियम बेहद उपयोगी साबित हो रहा है।”
युवाओं के लिए प्रेरणा बनीं मानसी नेगी
आज Mansi negi पूरे देश की बेटियों के लिए प्रेरणा हैं। उनकी मेहनत और जज्बे की कहानी हर उस युवा को राह दिखाती है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखने की हिम्मत रखता है।
Lप्रभारी जिला क्रीड़ा अधिकारी जयवीर रावत ने भी कहा कि मानसी नेगी ने कड़ी मेहनत से उत्तराखंड का नाम रोशन किया है।