देहरादून: उत्तराखंड पेपर लीक मामला एक बार फिर बड़ा मुद्दा बन गया है। रविवार को हुई यूकेएसएसएससी स्नातक स्तरीय परीक्षा के तुरंत बाद ही कुछ प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर सामने आ गए। इस खबर के बाद प्रदेशभर के युवाओं में गुस्सा फूट पड़ा और सोमवार को बड़ी संख्या में बेरोजगार युवा देहरादून के परेड मैदान में इकट्ठा होकर सड़कों पर उतर आए।
परेड मैदान में युवाओं का प्रदर्शन
परेड मैदान पहुंचे सैकड़ों युवाओं ने “पेपर चोर गद्दी छोड़” और “सीबीआई जांच कराओ” जैसे नारे लगाते हुए सरकार और आयोग पर जमकर निशाना साधा। उत्तराखंड पेपर लीक मामला अब युवाओं के लिए सिर्फ परीक्षा का मुद्दा नहीं बल्कि रोजगार और भविष्य से जुड़ा सवाल बन गया है। युवाओं ने यहां से सचिवालय कूच करने की भी योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस ने धारा 163 लागू कर उन्हें रोक दिया। इसके बाद आंदोलनकारी परेड मैदान के पास सड़क पर ही धरने पर बैठ गए।
बॉबी पंवार का आरोप
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के पूर्व अध्यक्ष बॉबी पंवार ने आरोप लगाया कि पेपर लीक में नकल माफियाओं और अधिकारियों की मिलीभगत है। उन्होंने दावा किया कि पेपर का सेट परीक्षा शुरू होने से पहले ही बाहर आ चुका था। बॉबी पंवार ने कहा कि सुबह 10 बजे परीक्षा केंद्र के पीछे की दीवार के पास दो युवकों को प्रश्नपत्र हल करते हुए देखा गया, जिसका गवाह भी मौजूद है। उन्होंने सरकार से तुरंत सीबीआई जांच की मांग की।
अभ्यर्थियों की पीड़ा
धरने में शामिल अभ्यर्थी अमन, जो नैनबाग का रहने वाला है, ने कहा – “मैंने सोचा था कि यह मेरा आखिरी पेपर है। इसके लिए दिन-रात तैयारी की थी, पटेलनगर में किराए का कमरा लेकर पढ़ाई की। लेकिन पेपर लीक होने से सारी मेहनत पर पानी फिर गया।” अमन की तरह कई युवा निराश होकर अब आंदोलन में शामिल हो गए हैं।
पुलिस प्रशासन अलर्ट
युवाओं के गुस्से को देखते हुए देहरादून शहर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई। पुलिस ने परेड मैदान और सचिवालय की ओर जाने वाले रास्तों पर बैरिकेडिंग कर दी। बावजूद इसके, नाराज युवाओं ने शांतिपूर्ण ढंग से धरना जारी रखा और साफ संदेश दिया कि जब तक उत्तराखंड पेपर लीक मामले की निष्पक्ष जांच नहीं होगी, आंदोलन जारी रहेगा।
निष्कर्ष
उत्तराखंड पेपर लीक मामला ने प्रदेश के युवाओं का भरोसा हिला दिया है। परेड मैदान का प्रदर्शन इस बात का सबूत है कि अब युवा चुप बैठने वाले नहीं हैं। उनकी मांग है कि सीबीआई से जांच कराई जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।